कला-कलंदर की रानी: तीन बहनें मस्तानी

अर्पितासिंह, अर्चनासिंह, और अमृतासिंह — ये तीनों मनोरंजन कला के क्षेत्र में उन्नति कर चुकी थीं। अर्पिता अश्लील गायन की मशहूर गायिका बन गई थी, तो अर्चना अश्लील डांस की। अमृता हाईकलास एक्सपोर्ट – मॉडल एस्कॉर्ट थी। इतनी हाई ( उच्च, ऊंची ) कि वह सिर्फ मिलिटरी के बड़े अफसरों, खास सरकारी मिनिस्टरों, व विदेश से आए राजनीतिक उच्च पदस्थ महापुरुषों, जैसे राजदूत आदि को ही घास डालती। उसे डिप्लोमेटिक कॉल गर्ल भी कहा जाने लगा था। तीनों बहनों की उम्र अलग – अलग थी पर चेहरेमोहरे व कदकाठी देखते तीनों हमउम्र लगती थीं। तीनों 21 – 23 वर्ष की थीं। तीनों अचानक सेक्स बम नहीं बन गई थीं।। इसके पीछे महान कलागुरु गैंडाप्रताप हस्तीमल दारूवाला की मेहनत थी। गैंडाप्रताप ने इन्हें खरीदा था और तीन साल की उम्र से ट्रेनिंग देते हुए परवान चढ़ाया था। गैंडाप्रताप लंबे समय से अपनी डांसमंडली, गायन बाज़ार, और वेश्यालय चलाता था जिसका विकास कॉल गर्ल नेटवर्क व एस्कॉर्ट बिज़नस में हुआ; अलग से वेश्यालय अब भी चल रहा है। वो इलाके का नामी गुंडा भी था, खासकर पुलिस से उसकी मिलीभगत जबर्दस्त थी।

गैंडाप्रताप के एक दोस्त हजरत ठोकसिंह राजपूत म्यूजिक स्टुडियो के मालिक थे जहां गीतकार भोसालाल भचक अश्लील गीत लिखते। वे ही विडियो बनाते जो चटकीला – भड़कीला और अश्लील दृश्यों से भरपूर होता। ऐसे डांस विडियो, नौटंकी वीडियो की बहुत डिमांड है, पब्लिक पसंद करती है। अश्लीलता व व्यभिचार आज की बड़ी इंडस्ट्री है।

डांसमंडली, गायनबाज़ार, वैश्यालय, एस्कॉर्ट सेंटर आदि धड़ल्ले से चलते। डांसमंडली में चालीस नर्तकियाँ, अलग – अलग उम्र की रहतीं; गायनबाजार में साठ से भी ऊपर गायिकाएँ; वैश्यालय में सौ से ऊपर लड़कियां व औरतें होतीं। सिर्फ एस्कॉर्ट सेंटर में ही कम सामान था; मुश्किल से बीस। एस्कॉर्ट सेंटर गैंडाप्रताप की जान था। यह आर्थिक और राजनैतिक ताकत का गुप्त अड्डा था। यह करोड़ों का खेल था। एक सधी हुई एस्कॉर्ट गर्ल ही एक रात के साठ हज़ार रुपये ले लेती थी।

अर्पितासिंह शक्ल – सूरत से बहुत शरीफ और खानदानी दिखती। वह एक तरफ अश्लील या अति अश्लील गायन गाती —- खुले में नहीं, रिकॉर्ड – बद्ध, दूसरी तरफ वह भक्ति संगीत के गायन भी उतनी ही महानता से गाती। भक्तिगीतों के पसंद करनेवाले उसे मीरां से कम नहीं समझते। यही बात अर्चनासिंह की भी थी। वह भी भक्ति – ज्ञान, वैराग्य के नृत्यों में धूम मचा देती। दोनों अपने निजी जीवन में बहुत शालीन, सुसभ्य, और सदाचार की पुतलियाँ थीं। चेहरा इतना सरल, भद्र और सात्विक था कि कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि दोनों अश्लीलता के क्षेत्र में हैं। पर गुप्त और खुल्ला खेल अलग तरह का था।

अर्चनासिंह जब अश्लील डांस का रिहर्सल करती तब अर्पितासिंह और भोसालाल भचक मौजूद रहते। अपनी कला का जौहर दिखाते समय अर्चना को कोई लाज – शरम नहीं रहती। लेकिन जब कोई मर्द कलाकार खुले में उसके आगे – पीछे कूद – कूद कर नृत्य करता उस समय अर्चना भी अपनी टांगें चौड़ी कर और नितंबों पर धचका दे – दे मर्द कलाकार से चिपटती। उस समय नंगे व अश्लील संवाद या डाइलोग धड़ल्ले से बोले जाते। अर्चनासिंह का नाच पूरे कपड़े पहने शुरू होता, फिर एक लड़का या कभी दूसरा मर्द उससे चिपटता, कस के, तो भी अर्चना उसकी इज्जत करती और उसे भाई कहती, बड़ी उम्र का मर्द कलाकार हुआ तो अंकल। कई बार साठ से ऊपर की उम्र के हठीले मर्द के साथ उसे अश्लीलता करनी होती तो भी वो उसे बाबा कहती। यह तहजीब होती है।

इधर अमृतासिंह अपना हाईकलास एस्कॉर्ट सेंटर चला रही थी। उसमें कुल बीस छोकरियाँ थी। वे कदकाठी से ही छोकरियाँ लगती वैसे बेहद चतुर – चालाक थीं। उनकी बहुत कमसिन उम्र थी क्योंकि आजकल अच्छे व भद्र लोग कमसिन कलियां ही पसंद करते हैं। इसलिए अमृतासिंह ने 14 से 17 वर्ष की कुल बीस कन्याएँ अपने गिरोह में खींच रखी थी। इन्हें गांड मरवाने की खास ट्रेनिंग दी गई थी। कुछ को BDSM ( कठोर बंधन, क्रूर अनुशासन, और दर्दनाक मर्दानगी ) में ट्रेनिंग दी, कुछ को पेशाब करने व पेशाब पीने की कला की, और कुछ को खून निकलने की हद तक पिटने की। सब सामूहिक संभोग की कला में ट्रेंड भी थी। एक – एक लड़की एकसाथ 20 लंड सम्हाल सकती थी। खुद अमृतासिंह इन सब कलाओं की महारानी थी। कहते हैं कि एकबार एक मिनिस्टर ने इसे रगड़ा और फिर दोनों ने एकसाथ पेशाब किया, अमृता का पेशाब मिनिस्टर के पेशाब की धार से टकरा कर घुलमिल गया, और उस मिनिस्टर ने पेशाब करती अमृता की मूत्रनली को निकट से बड़े गौर से देखा था। फिर मिनिस्टर ने अमृता की गांड के छेद में भी घुसा कर पेशाब किया; यहाँ तक कि उसके कंठ के हलक में भी अपना पेशाब उतारा और अमृता उसे गट – गट पी गई।

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अर्पिता – अर्चना की जुगल – जोड़ी : उस दिन, बल्कि रात को शो में भीड़ टूट पड़ी थी। अर्चना एक नया डांस आइटम लेकर आई थी, और साथ में नई चिड़िया, 17 साल की गर्भवती छोरी। नृत्य – गीत के बोल थे : “लग – लग लगा, लाला लग – लग लगा”। इसमें एक 48 वर्ष का लंठ, मोटा सेठ एक 17 वर्ष की गर्भवती कन्या के साथ अपना मोटा पेट आगे से मचका कर पहले तो बड़ी देर नाचता है, और आखिर में स्टेज पर ही उस छोरी को चोदता है। अर्पिता को इस डांस पर अश्लील इशारों के साथ गायन करना था। यह शो रात 11 बजे शुरू हुआ। गीत भोसालाल भचक ने लिखे थे;

” लग – लग लगा; अरे, लग – लग लगा

सट के लगा, घुस्स – घिस्से लगा

( सेठ ) अरे, पटरी – पटरी रेल चले

तेरी दो – टांगों का खेल चले

मेरा इंजन सीटी मारे है

तेरी पटरी पाँव पसारे है

– तभी धक्का लगा

– लग – लग – लग लगा

( छोरी ) देखो लगा मुझे पाँचवाँ महीना!

( सेठ ) तुझे नहीं चोदे, वो कमीना

देख, छोरी ये है मेरा ‘लंड’ लव – लीना

इन बोलों पर नई गर्भवती छोरी को नाचना को था और गीत गाना अर्पिता को। अर्पिता ने इसके लिए खास ड्रेस पहनी थी, और हावभाव में अश्लीलता भरी। अर्पिता ने इसके लिए झीनी शुभ्र – अति सफ़ेद ड्रेस पहनी जिसमें उसकी काली तिकोनी चूत हल्का – हल्की दिख रही थी क्योंकि भीतर ट्रिम झांटें थी। नई छोरी व अर्चना तो सेठजी के संग अंग भिड़ा – भिड़ा नाचे ही थे। सेठ धोती में था और उसका लौडा काफी आगे बढ़ा हुआ था, धोती के भीतर ही; जबकि अर्चना वस्त्र के भीतर कई वस्त्र पहने थी जिन्हें वो एक – के – बाद एक धीमे – धीमे उतार रही थी। वह पेट, जांघें और चूत को धचक – मचक लचक – फ़चक करते हुए गांड हिला – हिला नाच रही थी। गर्भवती छोरी काफी चालू थी, नेपाल की थी। मोटा तोंदू सेठ कभी उसके पीछे कूद – कूद कर चिपटता तो कभी आगे से अर्चना की एक टांग उठा उसके पेट से भिड़ता। गायन करते हुए अर्पिता नई छोरी के पेट की तरफ इशारा कर दर्शकों को आँख मारती जिससे गायन की मस्ती बढ़ जाती। यही नहीं कई बार गायन के बीच पलट कर अपने चूतड़ ( नितम्ब ) भी दिखाती कारण ड्रेस का पिछले भाग का कपड़ा कई जगह कटा – फटा था जिससे उसके गुप्तांग का एक या दो हिस्से दिख जाते दर्शकों को। बीच – बीच में वो दर्शकों के सामने जाती व अपने अधोवस्त्र हटा अपनी नंगी फुद्दी उनको दिखा देती।

असली काम तो तब हुआ जब मोटे लंठ सेठ ने सचमुच में उस नई गर्भवती छोरी को नंगी कर दिया व उसका गर्भ टटोला। वह बड़ी तरकीब से छोरी के पेट के ऊपर नंगा हो चढ़ गया। पाँच महीने का गर्भ वाला पेट साफ मधुर दिखाई दे रहा था जो इस शो की जान था। उसकी मोटी नग्न गांड़ दर्शकों के सामने थी, और अर्पिता भी गायन करते हुए सेठ की गांड़ देख कर गाने लग जाती, गाती; “गांड़ देख, सेठ की गांड़ देख”।

यह सारा नज़ारा मनमोहक और अंतरात्मा को संतुष्ट करनेवाला था। सेठ ने उसे जी भर चोदा ही नहीं बल्कि नई छोरी की चूत में अंगुल व हथेली मार – मार उसकी फुद्दी की झिल्लियों को दर्शकों को दिखा तक दिया; उन्हें दाँत से काट खाया। सेठ के लौड़े से अच्छाखसा वीर्य निकला जो उसने नई छोरी के मुख पर मला।

पाठकों, हम अमृतासिंह का खेल फिर कभी बताएँगे।

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